छत्तीसगढ़, मध्य भारत का एक छोटा राज्य है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, लुभावने परिदृश्य और विविध व्यंजनों के लिए जाना जाता है।
इस ब्लॉग पोस्ट में मैं छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध व्यंजन “बोरे बासी” के बारे में विस्तार से बताऊंगा।
छत्तीसगढ़ में पारंपरिक व्यंजन ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के दिलों और स्वाद की कलियों पर समान रूप से कब्जा कर लिया है।
वर्ष 2022 को छत्तीसगढ़ के तात्कालिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के श्रमिकों के सम्मान में 1 मई श्रमिक दिवस के दिन बोरे बासी खाया था और इस तरह छत्तीसगढ़ में 1 मई को बोरे बासी तिहार के रूप में मनाने की परम्परा शुरू की गयी है।
‘बासी’ या ‘बोरे बासी’ क्या है?
बासी‘, जिसे ‘ बोरे बासी‘ के नाम से भी जाना जाता है, गर्मियों के दिनों में छत्तीसगढ़ के लोगों द्वारा खाये जाने वाला प्रमुख खाद्य है, इसकी जड़ें छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों में गहराई से जुड़ी हुई हैं।

स्थानीय भाषा में ‘ बोरे बासी‘ शब्द का अर्थ बीती रात का पानी में ‘भीगी भात’ है। यह एक स्वादिष्ट व्यंजन है जो स्थानीय लोगों की कुशलता और सरलता को प्रदर्शित करता है।
‘बासी’ छत्तीसगढ़ के गांवों में सुबह का बहुत प्रचलित नास्ता है,
छत्तीसगढ़ प्रसिद्ध “बोरे बासी” कैसे बनाएं?
बासी को बनाना बहुत ही आसान है। बीती रात चावल को पकाकर भात बनाने के इसे रात भर के लिए ठंडा पानी में भीगने के लिए रख देते है।
पारम्परिक “बोरे बासी” को मिटटी के घड़े पकाकर भिगोया जाता है, जिससे यह अधिक समय के लिए तजा, ठंडा व स्वादिस्ट बना रहता है।
अगले दिन यह भीगा भात को ही “बोरे बासी” कहा जाता है जिसे सुबह और दोपहर के खाने के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
“बोरे बासी” को मुख्य रूप से गर्मियों के दिनों में खाया जाता है और इस समय इसका महत्त्व भी बहुत अधिक है।
इसे रात की बची सब्जी या टमाटर चटनी, लहसुन-मिर्च की चटनी, आम की चटनी, भुना सूखा मिर्च, बिजौरी(रखिया के बीज से बना व्यंजन) और प्याज आदि के साथ बड़े चाव से खाया जाता है।
“बोरे बासी” का महत्व
- चूँकि छत्तीसगढ़ मध्य भारत का राज्य है इसलिए यहाँ गर्मियों के मौसम में जबरदस्त धुप पड़ता है और बासी एक ठंडा तासीर का खाद्य है, जो कड़कती धुप में काम कर रहे लोगो के शरीर को ठंडा रखता है।
- गर्मियों के दिनों में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण बहुत अत्यधिक व्यस्त रहते है, इस समय यहां महुआ बिनाई, तेंदूपत्ता तोड़ाई, चार, हर्रा, बेहरा, भेलवा, तेन्दु फल, घर निर्माण, ईंट बनाने और रबी फसल के कार्य में व्यस्त रहते हैं। घर में बासी रहने से महिलाओं के समय में काफी बचत होता है, जिससे सुबह-सुबह काम करने के लिए अच्छा समय मिल जाता है।
- बासी छत्तीसगढ़ की पहचान व संस्कृति का हिस्सा है, इसलिए भी यह महत्वपूर्ण है।
बोर बसी कहां खोजें:
बोर बसी मुख्य रूप से पूरे छत्तीसगढ़ में स्थानीय भोजनालयों और स्ट्रीट फूड स्टालों में उपलब्ध है। यह अक्सर छोटे शहरों और गांवों में पाया जाता है जहां पारंपरिक व्यंजन मनाए जाते हैं।
आप इसे अपने घर में भी आसानी से बना सकते हैं।
हाल के वर्षों में, “बोरे बासी” ने छत्तीसगढ़ की सीमाओं से परे भी मान्यता प्राप्त की है। भोजन के प्रति उत्साही और भारत के विभिन्न हिस्सों और यहां तक कि विदेशों के यात्रियों ने इस अनूठी डिश की खोज और सराहना शुरू कर दी है।
वर्तमान समय में “बोरे बासी” आपको छत्तीसगढ़ की छोटी-बड़ी सभी शहरों, प्रामाणिक भोजनालयों और स्ट्रीट फूड स्टालों में परोसा जाता है।
“बोरे बासी” छत्तीसगढ़ की पाक विविधता और सांस्कृतिक विरासत के लिए एक वसीयतनामा के रूप में खड़ा है। इसकी अनूठी तैयारी और रमणीय स्वाद इसे स्थानीय लोगों और आगंतुकों दोनों के लिए समान रूप से यादगार व्यंजन बनाते हैं।
यदि आप छत्तीसगढ़ आये और यहां के प्रसिद्ध ‘बोरे बासी‘ के जादू का स्वाद नहीं चखा तो आपको छत्तीसगढ़ की परंपरा से अछूते रह गए हैं।
जो लोग बोर बसी तैयार करने में अपना हाथ आजमाना चाहते हैं, उनके लिए यह रेसिपी अपेक्षाकृत सरल है और इसे अपनी रसोई में आराम से बनाया जा सकता है। बची हुई रोटियों का उपयोग करके, आप इस पारंपरिक व्यंजन के जादू को फिर से बना सकते हैं और छत्तीसगढ़ का स्वाद अपने खाने की मेज पर ला सकते हैं।
छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध ‘ बोरे बासी‘ एक पाक रत्न है जो मान्यता और प्रशंसा का पात्र है। इसकी विनम्र उत्पत्ति, सामग्री का संसाधनपूर्ण उपयोग और आनंदमय स्वाद इसे राज्य की पाक विरासत का एक अभिन्न अंग बनाते हैं।
इसलिए, यदि आप खुद को छत्तीसगढ़ में पाते हैं या कहीं और बोरे बासी को चखने का अवसर मिलता है, तो इस स्वादिष्ट और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण व्यंजन का आनंद लेना सुनिश्चित करें, जो इस क्षेत्र के व्यंजनों के सार को समाहित करता है।
प्रसिद्ध ‘बोर बसी’ का अनुभव किए बिना छत्तीसगढ़ के व्यंजनों की खोज अधूरी होगी। यह एक ऐसा व्यंजन है जो न केवल खाद्य पदार्थ है बल्कि राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पाक परंपराओं की झलक भी पेश करता है।